कौन हैं मादी शर्मा जिन्होंने भेजा था यूरोपीय संघ के सांसदों को न्योता
यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल ने 29 अक्तूबर को जम्मू-कश्मीर का दौरान किया। यह दौरा दुनियाभर में चर्चा में रहा क्योंकि कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने के बाद यह पहला मौका था, जब कोई विदेशी कूटनीतिक समूह राज्य में पहुंचा था। देश की कई विपक्षी पार्टियां इस दौरे का विरोध भी कर रही थीं, क्योंकि वो इसे गैरलोकतांत्रिक मान रही हैं।
 

यूरोपीय संघ की संसद के इस प्रतिनिधिमंडल के दौरे में राजनीति के बाद सबसे ज्यादा चर्चा जिसकी हुई है वो हैं मादी शर्मा। शर्मा एक गैरसरकारी संगठन (एनजीओ) चलाती हैं जिसका नाम है वूमेंस इकोनॉमिक एंड सोशल थिंक-टैंक (डब्ल्यूईएसटीटी)। ऐसा कहा जा रहा है कि इस यात्रा का आयोजन मादी शर्मा ने ही किया था।

कहा जा रहा है कि शर्मा ने यूरोपीय सांसदों को निमंत्रण भेजा था और उनसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक और कश्मीर का दौरा कराने का वादा किया था। यूरोपियन संघ के प्रतिनिधिमंडल ने दिवाली के अगले दिन यानी 28 अक्तूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर से नई दिल्ली में मुलाकात की थी। इसके बाद श्रीनगर में उन्होंने 15वीं कॉर्प्स के कमांडर से भी मुलाकात की।

दिल्ली में यूरोपियन संघ के सांसदों की मुलाकात कश्मीर के प्रबुद्धजनों (सिविल सोसायटी) के साथ दोपहर के भोज के दौरान कराई गई थी। इसका आयोजन एनएसए अजित डोभाल ने किया था। वहीं श्रीनगर के एक कार्यक्रम में यह दल कश्मीरियों से भी मिला था।

कौन हैं मादी शर्मा


मादी शर्मा, मादी समूह की मालकिन हैं जो एक ऐसे संगठन का संचालन करता है जो अतंरराष्ट्रीय स्तर की निजी कंपनियों को एकजुट करता है। कहा जाता है कि यह संगठन मुनाफे के लिए काम नहीं करता है। वो यूरोपियन इकॉनॉमिक एंड सोशल कमिटी की सदस्य भी हैं, जो यूरोपियन संघ का सलाहकार निकाय है। शर्मा ने एक लेख लिखा था जिसका शीर्षक था- कैसे अनु्च्छेद 370 हटाना कश्मीरी महिलाओं के लिए एक चुनौती और जीत है। उनका यह लेख ईपी टुडे में प्रकाशित हुआ था। यह एक मासिक पत्रिका है जिसमें यूरोपीय संसद के कामकाज को लेकर जानकारी प्रकाशित की जाती है।

शर्मा की वेबसाइट के अनुसार डब्ल्यूईएसटीटी एक अग्रणी महिला थिंक-टैंक है जिसके वैश्विक आयाम हैं। यह महिलाओं के आर्थिक, पर्यावरण और सामाजिक विकास पर ध्यान केंद्रित करती है। राजनीतिक स्तर पर वह प्रमुख मुद्दों पर जागरूकता फैलाने के लिए लॉबिंग करती हैं लेकिन कभी इसका आर्थिक फायदा नहीं लेतीं। हालांकि उन्होंने अभी तक कश्मीर मसले पर दिलचस्पी नहीं ली थी। 

वैसे यह पहली बार नहीं है जब शर्मा यूरोपियन संघ के एक प्रतिनिधिमंडल को कहीं लेकर गई हैं। पिछले साल वह इसी तरह यूरोपियन संघ के प्रतिनिधिमंडल को मालदीव लेकर गई थीं। उस समय वहां अब्दुल्ला यामीन की सरकार थी। दौरे के बाद प्रतिनिधिमंडल ने यामीन सरकार की आलोचना की थी।