आबूरोड के निकट स्थित अंबाजी मंदिर में आदिवासी समुदाय के करीब 802 जोड़े विवाह बंधन में बधे। पहली बार समुदाय की ओर से इतना बड़ा आयोजन किया गया। करीब 4 साल पूर्व तक 15 से 20 जोड़े इसमें भाग लेते रहे। लेकिन समाज के पंच पटेलों की जागृति के कारण पहली बारद 802 जाेड़े विवाह बंधन में बंधे। शक्तिपीठ अंबाजी के जीएमडीसी ग्राउंड में रविवार काे समूह लग्न हुआ।
एडवोकेट भावाराम गरासिया ने बताया कि पूर्व में समाज में जागृति के अभाव में आदिवासी आपसी सहमति से प्रेम विवाह करते थे। समाज की यह रीत पीढ़ियाें से चली आ रही है। इसलिए 50 से 80 तक की आयु में यह जोड़ा अपने बच्चों की शादी व फेरे से पहले स्वयं शादी करता है। उन्होंने बताया कि इस सामूहिक लग्न में 80 से 90 वर्ष से लेकर 30 साल की आयु के जाेड़े शामिल हुए। इस सामूहिक विवाह में गुजरात के अलावा उदयपुर व उसके आसपास के क्षेत्र के समाजबंधु मौजूद थे।
श्रीभादरवी पूनमिया संघ सेवा ट्रस्ट अंबाजी की प्रेरणा से समस्त हिंदू समाज आदिवासी डूगरी गरासिया समाज सुधारण समिति द्वारा देडी स्वामी संदानंद तीर्थ महाराज द्वारका, महंत मुक्तनंद महाराज विधाधाम की प्रेरणा से इस विवाह का आयोजन किया गया। इसमें सिरोही के पूर्व नरेश रघुवीर सिंह, गजेंद्र सिंह वाव स्टेट, रिद्धिराज सिह, मोहन सिंह, हरेंद्र पाल सिह, धर्मपाल सिंह झाला, जोगाजी वालाजी परमार आदि मौजूद थे। इससे पूर्व शोभायात्रा भी निकाली गई और बाद में सामूहिक भाेज का आयोजन किया गया।