गुजरात से सटे राजस्थान के तीन जिलों उदयपुर, बांसवाड़ा और डूंगरपुर के गांवों में बच्चे बिक रहे हैं। उम्र 5 से 16 साल...कीमत 50 रुपए से 150 रुपए रोजाना। काम- जो चाहे कराओ। जगह- जहां चाहो ले जाओ। इनमें बच्चियां भी शामिल हैं। कई बच्चे अपाहिज होकर लौटे, कई बच्चे कफन में घरों को लौटे। तीनों जिलों के 127 गांवों में जाकर भास्कर ने मानव तस्करी के पूरे नेटवर्क का खुलासा किया। भास्कर टीम ने खुद को जोखिम में डालकर मानव तस्करी के दलालों से संपर्क किया। दलालों के मार्फत खुद 44 बच्चे खरीदे और पुलिस को सौंपा।
दैनिक भास्कर ने यह स्टिंग बचपन बचाने के लिए किया है। नेशनल क्राइम ब्यूरो की 2017 की रिपोर्ट के अनुसार मानव तस्करी में राजस्थान देश में पहले नंबर पर है। इसके बाद कोई रिपोर्ट नहीं आई है। दूसरा चिंताजनक पहलू- बालश्रम में राजस्थान तीसरे स्थान पर है। प्रदेश में साढ़े आठ लाख बाल श्रमिक हैं। भास्कर ने 30 दलालों को कैमरे में कैद किया। दलालों ने बताया- 300 लोग बच्चों को गुजरात ले जाते हैं। इसके लिए गुजरात नंबर की 500 से ज्यादा जीपें इन तीनों जिलों में दौड़ रही हैं। जीप मालिक को प्रति बच्चा 50 रुपए मिलता है, जिसमें वह 500 रुपए रोजाना पुलिस को देता है। गुजरात सीमा से सटी अंतिम पुलिस चौकी मामेर में 26 नवंबर 2019 को भास्कर ने 26 बच्चे सौंपे। भास्कर ने 20 दिसंबर को फिर 18 बच्चे खरीदे और कोटड़ा थाना पुलिस को सौंपा। ...तस्करी जारी है।
कोटड़ा पुलिस का चेहरा तस्करों से ज्यादा भयावह
तीनों जिलों से रोजाना 20 हजार से ज्यादा बच्चों और महिलाओं की तस्करी गुजरात के लिए होती है। शुक्रवार को भास्कर टीम ने गुजरात सीमा के पास मामेर गांव से 10 से 15 साल के 18 बच्चे खरीदे। सुबह 8 बजे इन बच्चों को लेकर कोटड़ा थाना पुलिस को सौंपा। लेकिन, बच्चों की तस्करी के खिलाफ काम करने के लिए जिम्मेदार बाल संरक्षण समिति व पुलिस का चेहरा भी बेनकाब हो गया। पुलिस ने दिनभर बच्चों से सवाल किए। भूखे-प्यासे थाने में बिठाए रखा। समिति से लेकर राज्य बाल संरक्षण आयोग तक को सूचित करने के बावजूद देर रात तक कोई भी सुध लेने नहीं पहुंचा।
भास्कर टीम से दलाल ने 9500 रु. लिए, 18 बच्चे दिनभर के लिए दिए
भास्कर टीम भूरी देभर गांव में दलाल सोहनलाल से मिली। खुद को गुजरात का फैक्ट्री संचालक बताया और बच्चों की डिमांड की। दलाल ने 10 से 15 साल उम्र के 18 बच्चे 9500 रुपए में दिनभर के लिए साथ भेज दिए।
थानेदार की धमकी- मैं ही सरकार हूं, जो चाहे करूंगा
शुक्रवार को कोटड़ा थाने को बच्चे सौंपने के बावजूद पुलिस मानव तस्करी रोकने की जगह भास्कर टीम और साथ देने वाले एक सामाजिक संगठन को ही डराने-धमकाने में जुटी रही। कोटड़ा थानाधिकारी धनपत ने तो यहां कह दिया कि मैं ही यहां की सरकार हूं, मेरी मर्जी होगी वहीं करूंगा। कोटड़ा पुलिस दिनभर बच्चों को प्रताड़ित करने में जुटी रही। भास्कर ने अपने इस स्टिंग के संबंध में पहले ही पुलिस मुख्यालय को बता दिया था। मानत तस्करी रोधी यूनिट के अफसरों ने इस स्टिंग में सहयोग करने का लिखित आश्वासन दिया था। पुलिस मुख्यालय मुहिम में समर्थन कर रहा है, कोटड़ा थानेदार इसमें रोड़े अटकाते रहे।
सवाल : भास्कर ने 26 नवंबर को कोटड़ा थानाधिकारी धनपत सिंह को बताया था कि रोज जीपों में बच्चों को मानव तस्करी कर गुजरात ले जाते हैं। भास्कर ने शुक्रवार को फिर 18 बच्चे लाकर थाने को सौंपे। पुलिस ने तस्करों की जगह बच्चों व भास्कर टीम से सवाल किए। किसी दलाल को नहीं पकड़ा। कुछ समय पहले ही थानेदार धनपत का विवाह हुआ था। उन्होंने प्री-वेडिंग फिल्म बनाई थी जिसमें वर्दी पहने मंगेतर से घूस लेते नजर आए थे।
उदयपुर एसपी कैलाश विश्नोई कहते हैं- भास्कर ने आज हमें बताया है। इस पर पुलिस पुख्ता कार्रवाई करेगी। हमने 11 माह में जेजे एक्ट में बहुत कार्रवाई की हैं। भास्कर ने जो बच्चे सौंपे हैं, उसमें पुलिस की कमी रही है तो दूर करेंगे। बच्चों को सीडब्ल्यूसी को सौंपेंगे।
भास्कर स्टिंग क्यों? : राजस्थान में हर साल 2500 से ज्यादा बच्चे गायब हो रहे हैं । 2015 और 2016 में 18 वर्ष से कम उम्र के 782 लड़के और 1387 लड़कियां गायब हुईं। 2015 में 4951 महिलाएं भी गायब हुईं।
बालश्रम: जनगणना 2011 के अनुसार- बाल मजदूरी में राजस्थान का देश में तीसरा नंबर है। यहां 5 से 14 वर्ष के 8.5 लाख बच्चे बाल श्रमिक हैं।